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सोवत जागत आँठू जान राहत प्रभू मन में तुम्हारे ध्यान / काजी नज़रुल इस्लाम

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सोवत जागत आँठू जान राहत प्रभू मन में तुम्हारे ध्यान।
रात अंधेरी से चाँद समान प्रभू उज्वल कर मेरा प्राण।।
एक सूर बोलो झिओर सारी रात—
ऐसे ही जपतूहू तेरा नाम हे नाथ,
रोम रोम में रम रहो मेरे एक तुम्हारा गान।।
गई बन्धू कुटुम स्वजन—
त्यज दिनू मैं तुम्हारे कारण,
तुम हो मेरे प्राण-आधारण, दासी तुम्हारी ज्ञान।।