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मेरा गाँव / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

गाँव में खेत
खेत मे चौपट फसलें
अतिवृष्टि-अनावृष्टि से पीडि़त
फसलों के बीच उदास किसान हुआ करता है
ऐसा मेरा गाँव हुआ करता है

मेरे सपनों में पानी से भरे बादल
बहुत दूर ऊँचे आसमानों में हुआ करते हैं
मेरे गाँव के किसान उन्हें हसरत भरी निगाहों से ताका करते हैं

मेरे गाँव के आदमियों के इरादे बुलन्द
और पाँव मज़बूत हुआ करते हैं
उम्र के शुरुआती दौर में

पर जैसे-जैसे उनकी उम्र ढलती जाती है
वैसे-वैसे उनके इरादे मोम
और पाँव रबड़ सरीखे हो जाते हैं

ऐसा नहीं कि मेरे गाँव की पगडण्डी
किसी बड़े रास्ते से कटी है
कि ऊँचाइयों की ओर जाते ही नहीं रास्ते मेरे गाँव से
बस प्रकृति नहीं है मेहरबान
और जातियों धर्मों पार्टियों में
बँट गया है मेरा गाँव
कितना बदल गया है मेरा गाँव