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मेरी आँखों में जब तक नमी है / गुलाब खंडेलवाल
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20:44, 11 अगस्त 2011
तेरी महफ़िल तभी तक जमी है
जो पराई जलन से न
तडपे
तड़पे
आदमी वह कोई आदमी है!
Vibhajhalani
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