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वो ख़्वाब था बिखर गया, ख़याल था मिला नहीं / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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04:06, 16 सितम्बर 2011
लहू जिगर का भी दिया ,मगर दिया जला नहीं
पढ़ा जो खत सकूं मिला, लिखा था हाल-ए
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दिल मेरा
जवाब में मैं क्या लिखूं ,यूँ खत कभी लिखा नहीं
Purshottam abbi "azer"
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