भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
' १-धुंध ही धुंध<br> सूर्य हुआ लापता<br> रजनी रोई |<br><br> ...' के साथ नया पन्ना बनाया
१-धुंध ही धुंध<br>
सूर्य हुआ लापता<br>
रजनी रोई |<br><br>
२-कठिन होता <br>
रचनात्मक कार्य<br>
ध्वंस आसान |<br><br>
३-माँ की ममता<br>
यूँ कैसे हार जाती<br>
बेटी न जने |<br><br>
४-संहार मत <br>
अपने स्वरुप को <br>
माँ आने भी दे|<br><br>
५-इतना बौना<br>
कैसे हुआ आदमी <br>
माँ-पा न भाएं |<br><br>
६-नजदीकियाँ <br>
सुख ही नहीं देती <br>
तलखियाँ भी |<br><br>
७-पूस की ठण्ड <br>
अम्बर-धरा संग<br>
मन उमंग |<br><br>
८-मृत्यु के डर<br>
जीना नहीं छोड़ते <br>
कर्मठ व्यक्ति <br><br>
९-वफ़ा का वादा <br>
चाँद न भी निभाए <br>
सूर्य मुस्काए |<br><br>
१०-सूर्य की ऊष्मा<br>
चाँद की शीतलता <br>
धरा मुस्काई |<br><br>
११-श्वेत चादर <br>
ओढ़ कर सोई है <br>
अम्बर झरे |<br><br>