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|रचनाकार=शिवराज भारतीय
|संग्रह=रंग-रंगीलो म्हारो देस / शिवराज भारतीय
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<poem>
लाल टोपी, काळो चश्मो,
पै‘र पजामो झालरदार
ऊंदरियै री शामत आई,
छयांया-म्यांयां सारा सुवाल।
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