भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
{{KKShayar}}
*[[वो जब ये कहते हैं तुझ से ख़ता ज़रूर हुई / हसरत मोहानी ]]
*[[ख़ू समझ में नहीं आती तेरे दीवानों की / हसरत मोहानी ]]
*[[तोड़ कर अहद-ए-करम न-आशना हो जाइए / हसरत मोहानी ]]
* [[जो वो नज़र-बा-सरे लुत्फ़ आम हो जाये / हसरत मोहानी ]]