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सुणो-
‘आपणै अठै बीकानेर में भी
कमाल है अजै भी नाळ्यां में पाणी पीवै फकीर
पछै भी जे नीं समझै आपणा अै सरीर
अर संवेदन लीर-लीर
फेरूं भी पोथ्यां छपावणी है
कविता रै बिचाळै
अर आखरां री अगन स्यूं
थे अंधारै नैं जीत ङ्घ;द्मह्य
-फीत ङ्घ;द्मह्यल्यो
मोढां ऊपर सत अर सील री