भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
}}
<poem>
थी नगर गली सड़कें सुन्दर,
सब जन के मन चित चाव रहा,
गुलाब जल सब जगह सुगंधित,
चन्दन का छिड़काव रहा |
दीवार चमकती महलों की,
मुख दिखलाई देता था,
514
edits