गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
झील से प्यार करते हुए–1 / शरद कोकास
83 bytes added
,
15:06, 1 जुलाई 2016
{{KKRachna
|रचनाकार=शरद कोकास
|संग्रह=
गुनगुनी धूप में बैठकर / शरद कोकास
}}
{{KKCatKavita}}
नाजायज़ प्रेम से
वे ईर्ष्या करते होंगे
वे चाहते होंगे
मै उसमें झाँक कर
अपना चेहरा देखना चाहता हूँ
बादलों के कहकहे
Lalit Kumar
Founder, Mover, Uploader,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
21,911
edits