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गुर कीजै गरिला निगुरा न रहिला / गोरखनाथ
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गुर कीजै गरिला निगुरा न रहिला। गुर बिन ग्यांन न पायला रे भईया।। टेक।।
दूधैं धोया कोइला उजला न होइला। कागा कंठै पहुप माल हँसला न भैला।। 1।।
अभाजै सी रोटली कागा जाइला। पूछौ म्हारा गुरु नै कहाँ सिषाइला।। 2।।
उतर दिस आविला पछिम दिस जाइला। पूछौ म्हारा सतगुरु नै तिहां बैसी षाइला।। 3।।
चीटी केरा नेत्र मैं गज्येन्द्र समाइला। गावडी के मुष मैं बाघला बिवाइला।। 4।।
बाहें बरसें बांझे ब्याई हाथ पाव टूटा। बदत गोरखनाथ मछिंद्र ना पूता।। 5।।

