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विक्टोरिया मेमोरियलः दो कविताएँ / निशांत
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एक
उस भवन में
कोई नहीं रहता
एक अकेली परी
उसके गुम्बद पर नाचा करती है ।
दो
दुनिया में
यही एक जगह है
जहाँ मैं
तुम्हे प्यार कर सकता हूँ
अहा
पाँच रूपया
और विक्टोरिया मेमोरियल...।

