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शब्द शब्द जैसे हो फूल / दिविक रमेश
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अच्छी पुस्तक बगिया जैसी
होती है मुझको तो लगता।
कविता और कहानी उसमें
हॊं पौधे ज्यों ऐसा लगता।
वाक्य लगते ज्यों टहनियां
शब्द शब्द जैसे हों फूल।
और अर्थ लगें ज्यों खुशबू
सूंघ सूंघ मन जाता झूल।
अरे कहानी में गंदे जो
वे तो लगते बिलकुल शूल।
उनको तो पढ़ते ही लगता
भैया जाएं जल्दी भूल।

