भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 14 सितम्बर 2016 का अवतरण
क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
| जन्म | 1748 |
|---|---|
| निधन | 1809 |
| उपनाम | ज़ुरअत |
| जन्म स्थान | दिल्ली, भारत |
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| विविध | |
| जीवन परिचय | |
| क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत' / परिचय | |
- ऐ दिला हम हुए पाबंद-ए-गम-ए-यार के तू / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- बुलबुल सुने न क्यूँके कफस में चमन की बात / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- गम रो रो के कहता हूँ कुछ उस से अगर अपना / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- इतना बतला के मुझे हरजाई हूँ मैं यार कि तू / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'
- सौत-ए-बुलबुल दिल-ए-नालाँ ने सुनाई मुज को / क़लंदर बख़्श 'ज़ुरअत'


