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मैं त्या छतमुत तुतलाता हूँ / रमेश तैलंग
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दुलिया दीदी!
छत-छत कहना
मैं त्या छतमुत तुतलाता हूँ?
छब तहते हैं मुझे तोतला,
तोई तहता अले छोतला!
धिछुम-धिछुम हो जाती मेरी
जब भी गुच्छा हो जाता हूँ।
डब्बू-बब्बू जो भी आता,
मुझ पल अपना हुतम तलाता,
मैं ही हूँ जो झतपत-झतपत
ताम छभी ते तल आता हूँ।

