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नम्बर दो / सरोज कुमार

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नम्बर दो की कमाई से
मन्दिर नहीं बनना चाहिए,
मेरे ये विचार सुन
चौधरी उत्तेजित हो गया!

बोला, माठ् साहब!
नम्बर दो का पैसा कमाना
सरल काम नहीं हैं
सारी आँखों से बचाकर
सारे कानूनों से छिपाकर
गुपचुप में, चुपचुप में
करिश्मे से कमा पाता है
कोई नम्बर दो!

फिर वह मेरी ओर हिकारत से
कुछ इस तरह
देखता रहा
मानों कह रहा हो-
ये दो कौड़ी का मास्टर
क्या खाक समझेगा, क्या होता है नम्बर दो!

फिर बोला-
आप तो माठ् साब,
बस
उत्तर पुस्तिकाओं में नम्बर दो.....!