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मैंने चीन्हा हरा पुदीना / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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अरी जरीना, कह री मीना।
देख हमारी क्यारी में यह,
भीना-भीना, हरा पुदीना।

देख-देख यह, कैसा छितरा।
रिमझिम-रिमझिम, पानी में यह,
दिखता कैसा निखरा-निखरा।
खरा नगीना, हरा पुदीना।

इसकी महक बड़ी सुखदाई।
दादी माँ तो कहती इसमें,
पेट दर्द की छुपी दवाई।
हँसकर पीना, हरा पुदीना।

सिलबट्टे पर तो है बटनी।
सोने में सुगंध के जैसी,
आम पुदीना कि अब चटनी।
मैंने चीन्हा, हरा पुदीना।