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"इसलिए / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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13:30, 10 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण


देवता की खामोशी ही
करती है
आस्था को गूढ़
मान्यता को पैनी।
देवता की पूजा
उसकी जीभ नहीं होने से है
वह आश्वासन भी नहीं देता
मुस्कराता रहता है
हर समय
लगता है-सब इलाज हैं यहां-
गूंगा होने में।