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"चोंच में आकाश / पूर्णिमा वर्मन" के अवतरणों में अंतर
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| − | उड़ रहा है | + | उड़ रहा है |
| − | एक राजा प्रेम का | + | एक राजा प्रेम का |
| − | इक रूपरानी | + | इक रूपरानी |
| − | झूलती सावन की | + | झूलती सावन की |
| − | पेंगों-सी कहानी | + | पेंगों-सी कहानी |
| − | और रिमझिम | + | और रिमझिम |
| − | खोल सिमसिम | + | खोल सिमसिम |
| − | मन कहीं सपनों सरीखा | + | मन कहीं सपनों सरीखा |
| − | जुड़ रहा है | + | जुड़ रहा है |
| − | एक पाखी | + | एक पाखी |
| − | पंख में उल्लास लेकर | + | पंख में उल्लास लेकर |
| − | उड़ रहा है | + | उड़ रहा है |
| − | जो व्यथा को | + | जो व्यथा को |
| − | पार कर पाया नहीं | + | पार कर पाया नहीं |
| − | वह कथा में सार | + | वह कथा में सार |
| − | भर पाया नहीं | + | भर पाया नहीं |
| − | छोड़ हलचल | + | छोड़ हलचल |
| − | बस उड़ा चल | + | बस उड़ा चल |
| − | क्यों उदासी की डगर में | + | क्यों उदासी की डगर में |
| − | मुड़ रहा है | + | मुड़ रहा है |
| − | एक पाखी | + | एक पाखी |
| − | साँस में विश्वास लेकर | + | साँस में विश्वास लेकर |
| − | उड़ रहा है< | + | उड़ रहा है |
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09:48, 27 जून 2014 के समय का अवतरण
एक पाखी
चोंच में आकाश लेकर
उड़ रहा है
एक राजा प्रेम का
इक रूपरानी
झूलती सावन की
पेंगों-सी कहानी
और रिमझिम
खोल सिमसिम
मन कहीं सपनों सरीखा
जुड़ रहा है
एक पाखी
पंख में उल्लास लेकर
उड़ रहा है
जो व्यथा को
पार कर पाया नहीं
वह कथा में सार
भर पाया नहीं
छोड़ हलचल
बस उड़ा चल
क्यों उदासी की डगर में
मुड़ रहा है
एक पाखी
साँस में विश्वास लेकर
उड़ रहा है

