भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"टटोला हुआ सुख / शरद कोकास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद कोकास |संग्रह=गुनगुनी धूप में...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:55, 1 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

 
धरती से निकले
आस्था के अंकुरों में
ननकू देखता है सुख
जवान लड़के की
फटी कमीज़ से झाँकती
ज़िम्मेदारियों की माँसपेशियों में
ननकू टटोलता है सुख
 
ट्रांज़िस्टर लेकर शहर से लौटे
पड़ोसी के किस्सों में
ननकू ढूँढता है सुख
 
रेडियो पर आने वाले
प्रधानमंत्री की
विदेश यात्रा के समाचार में
ननकू पाता है सुख
 
ननकू को यह सारे सुख
उस वक्त बेकार लगते हैं
जब उसका बैल बीमार होता है।