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"आकार बन गया / आरती मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

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22:04, 13 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

अधिक दिन नहीं हुए थे तुमसे मिले
कि मेरे भीतर फैली तरल मिट्टी
कोई आकार-सा अख़्तियार करने लगी

मेरे उजाड़ हुए दिनों से
आ टकराईं
खनखनाती लाल ईंटें

तिनके चिन्दियाँ रेशे किसी घोसले से उडक़र कुछ
मेरे तो मानो पर ही उग आए

और मैं उड़ी भी... दूऽऽऽर-दूर