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"मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर

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चांद सूरज की तरह चलता
 
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किस तरह हम तुम गए मिल
 
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देख मेरे पंख चल, गतिमय
 
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डाल झूमी, पर न टूटी
 
डाल झूमी, पर न टूटी
  
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::किंतु पंछी उड़ गया था।

00:44, 13 मई 2008 का अवतरण

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार

पथ ही मुड़ गया था।


गति मिली मैं चल पड़ा

पथ पर कहीं रुकना मना था,

राह अनदेखी, अजाना देश

संगी अनसुना था।

चांद सूरज की तरह चलता

न जाना रात दिन है,

किस तरह हम तुम गए मिल

आज भी कहना कठिन है,

तन न आया मांगने अभिसार

मन ही जुड़ गया था।


देख मेरे पंख चल, गतिमय

लता भी लहलहाई

पत्र आँचल में छिपाए मुख

कली भी मुस्कुराई।

एक क्षण को थम गए डैने

समझ विश्राम का पल

पर प्रबल संघर्ष बनकर

आ गई आंधी सदलबल।

डाल झूमी, पर न टूटी

किंतु पंछी उड़ गया था।