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"छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर

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'''गीतकार : शैलेन्द्र सिंह
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रुक जा रात ठहर जा रे चंदा  
 
रुक जा रात ठहर जा रे चंदा  
  

23:39, 27 जून 2008 का अवतरण

गीतकार : शैलेन्द्र सिंह


रुक जा रात ठहर जा रे चंदा

बीते न मिलन की बेला

आज चांदनी की नगरी में अरमानों का मेला रुक जा रात ...


पहले मिलन की यादें लेकर आई है ये रात सुहानी

दोहराते हैं चांद सितारे मेरी तुम्हारी प्रेम कहानी

मेरी तुम्हारी प्रेम कहानी

रुक जा रात ...


कल का डरना काल की चिंता, दो तन है मन एक हमारे

जीवन सीमा के आगे भी आऊंगी मैं संग तुम्हारे

आऊंगी मैं संग तुम्हारे

रुक जा रात ...


रुक जा रात ठहर जा रे चंदा

बीते न मिलन की बेला

आज चांदनी की नगरी में अरमानों का मेला

रुक जा रात ...