"जो सच में महान थे / स्तेफान स्पेन्डर" के अवतरणों में अंतर
छो (जो सच में महान थे (अनु० अनिल एकलव्य)/ स्तेफान स्पेन्डर का नाम बदलकर जो सच में महान थे / स्तेफान स्पेन) |
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| − | '''मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे | + | '''मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे''' |
| − | मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान | + | मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे । |
| − | जिन्होंने | + | जिन्होंने गर्भ से आत्मा के इतिहास को याद किया । |
रोशनी के गलियारों से होते हुए जहाँ समय के सूरज होते हैं | रोशनी के गलियारों से होते हुए जहाँ समय के सूरज होते हैं | ||
| − | + | अन्तहीन और गाते हुए, जिनकी ख़ूबसूरत महत्वाकाँक्षा | |
थी कि उनके होंठ, अब भी आग की तपन से लैस, | थी कि उनके होंठ, अब भी आग की तपन से लैस, | ||
सिर से पैर तक गीत पहने उस जीवट की बात कहें | सिर से पैर तक गीत पहने उस जीवट की बात कहें | ||
| − | और जिन्होंने | + | और जिन्होंने बसन्त की शाखों से जमा कर लीं |
| − | चाहतें जो उसके शरीर पर फैली थीं | + | चाहतें जो उसके शरीर पर फैली थीं मँजरियों जैसे |
| − | + | बेशक़ीमती है कभी न भूलना | |
| − | अमर | + | अमर बसन्त के रक्त से लिया गया आह्लाद का सार |
हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए, | हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए, | ||
| − | कभी ना नकारना सुबह के सहज प्रकाश में इसके | + | कभी ना नकारना सुबह के सहज प्रकाश में इसके आनन्द को |
| − | ना ही इसकी शाम की प्रेम की | + | ना ही इसकी शाम की प्रेम की गम्भीर माँग को । |
यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना | यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना | ||
| − | शोर से और | + | शोर से और धुन्ध से इस जीवट का पनपना । |
| − | बर्फ़ के पास, सूरज के पास, सबसे | + | बर्फ़ के पास, सूरज के पास, सबसे ऊँचे मैदानों में |
देखो कैसे इन नामों का सम्मान हो रहा है लहराती घास द्वारा | देखो कैसे इन नामों का सम्मान हो रहा है लहराती घास द्वारा | ||
और सफ़ेद बादलों की नावों के द्वारा | और सफ़ेद बादलों की नावों के द्वारा | ||
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जिन्होंने अपने दिल मे रखा आग के मरकज़ को, | जिन्होंने अपने दिल मे रखा आग के मरकज़ को, | ||
सूरज से जन्मे वे कुछ समय सूरज की तरफ ही चल पड़े, | सूरज से जन्मे वे कुछ समय सूरज की तरफ ही चल पड़े, | ||
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| − | '''मूल | + | '''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य''' |
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18:51, 2 जून 2019 के समय का अवतरण
मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे
मैं हमेशा उनके बारे में सोचता हूँ जो सच में महान थे ।
जिन्होंने गर्भ से आत्मा के इतिहास को याद किया ।
रोशनी के गलियारों से होते हुए जहाँ समय के सूरज होते हैं
अन्तहीन और गाते हुए, जिनकी ख़ूबसूरत महत्वाकाँक्षा
थी कि उनके होंठ, अब भी आग की तपन से लैस,
सिर से पैर तक गीत पहने उस जीवट की बात कहें
और जिन्होंने बसन्त की शाखों से जमा कर लीं
चाहतें जो उसके शरीर पर फैली थीं मँजरियों जैसे
बेशक़ीमती है कभी न भूलना
अमर बसन्त के रक्त से लिया गया आह्लाद का सार
हमारी पृथ्वी के पहले की दुनियाओं से चट्टानें तोड़ कर आते हुए,
कभी ना नकारना सुबह के सहज प्रकाश में इसके आनन्द को
ना ही इसकी शाम की प्रेम की गम्भीर माँग को ।
यातायात को कभी आहिस्ता से ना घोंटने देना
शोर से और धुन्ध से इस जीवट का पनपना ।
बर्फ़ के पास, सूरज के पास, सबसे ऊँचे मैदानों में
देखो कैसे इन नामों का सम्मान हो रहा है लहराती घास द्वारा
और सफ़ेद बादलों की नावों के द्वारा
और ध्यान से सुन रहे आकाश में हवा की फुसफुसाहट द्वारा
जिन्होंने अपने दिल मे रखा आग के मरकज़ को,
सूरज से जन्मे वे कुछ समय सूरज की तरफ ही चल पड़े,
और चँचल हवा पर अपने मान के हस्ताक्षर छोड़ गए ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य

