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| + | आज क्या गागर में | ||
| + | सागर है डुबोना | ||
| + | है बरसात से क्या आज | ||
| + | क्या एक ही कण भिगोना | ||
| + | करेगा क्या आज | ||
| + | फूल क़ैद सुगंध को | ||
| + | फैलने दो आज | ||
| + | हर ओर गंध को | ||
| + | मत करो सीमित हवाओं को | ||
| + | एक दर के लिए | ||
| + | रोशनी है सूरज की | ||
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| + | हर संकुचित | ||
| + | दायरे को तोड़ डालो | ||
| + | हर दीवार | ||
| + | हर कारा को फोड़ डालो | ||
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| + | फैलने दो आज | ||
| + | हृदय का विस्तार | ||
| + | समुद्र, सितारे और | ||
| + | अम्बर के पार। | ||
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23:35, 17 जनवरी 2021 के समय का अवतरण
क्यों हो गए आज
हृदय इतने व्यथित
क्यों हो गया प्रेम आज
इतना संकुचित!
आज क्या गागर में
सागर है डुबोना
है बरसात से क्या आज
क्या एक ही कण भिगोना
करेगा क्या आज
फूल क़ैद सुगंध को
फैलने दो आज
हर ओर गंध को
मत करो सीमित हवाओं को
एक दर के लिए
रोशनी है सूरज की
हर घर के लिए
हर संकुचित
दायरे को तोड़ डालो
हर दीवार
हर कारा को फोड़ डालो
फैलने दो आज
हृदय का विस्तार
समुद्र, सितारे और
अम्बर के पार।

