भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रेतीले रिश्ते ! / हरदीप कौर सन्धु" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरदीप कौर सन्धु }} {{KKCatKavita}} <poem> </poem>' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
| पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<poem> | <poem> | ||
| + | कोई गम नहीं | ||
| + | रेतीले ही सही | ||
| + | वो रिश्ते तो हैं .... | ||
| + | हम अकेले नहीं | ||
| + | नाम के ही सही | ||
| + | वो रिश्ते तो हैं ..... | ||
| + | उम्र भर प्यार | ||
| + | दिया है जिनको | ||
| + | वो रिश्ते तो हैं ..... | ||
| + | प्यार के आँचल में | ||
| + | भीग जाएँगे जब | ||
| + | ये रेतीले रिश्ते ..... | ||
| + | प्यार ही प्यार | ||
| + | बरसाएँगे ये | ||
| + | रेतीले रिश्ते ! | ||
</poem> | </poem> | ||
21:53, 27 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
कोई गम नहीं
रेतीले ही सही
वो रिश्ते तो हैं ....
हम अकेले नहीं
नाम के ही सही
वो रिश्ते तो हैं .....
उम्र भर प्यार
दिया है जिनको
वो रिश्ते तो हैं .....
प्यार के आँचल में
भीग जाएँगे जब
ये रेतीले रिश्ते .....
प्यार ही प्यार
बरसाएँगे ये
रेतीले रिश्ते !

