भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आप कुछ यूं उदास होते हैं / वीरेन्द्र वत्स" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन्द्र वत्स |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:53, 10 जुलाई 2025 के समय का अवतरण

आप कुछ यूं उदास होते हैं
रेत में कश्तियाँ डुबोते हैं
 
ख़ुद पे इतना भी ए’तबार नहीं
गैर की गलतियाँ सँजोते हैं
 
लोग क्यूं आरज़ू में जन्नत की
ज़िन्दगी का सुकून खोते हैं
 
जब से मज़हब में आ गए काँटे
हम मोहब्बत के फूल बोते हैं
 
बज़्म के कहकहे बताते हैं
आप तन्हाइयों में रोते हैं