भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक और दिन (कविता) / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एन गिल |एक और दिन / अवतार एन गिल }} <poem> तकिये प...)
(कोई अंतर नहीं)

11:05, 18 फ़रवरी 2009 का अवतरण

तकिये पर
रखते हे सर
नींद में लिया धर
फिर भी सोचाः
एक और दिन
दिया हरा।