भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तीन आवाज़ें-आवाज़-तीन / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एन गिल |एक और दिन / अवतार एन गिल }} <poem> अरी, ओ! म...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:28, 18 फ़रवरी 2009 का अवतरण
अरी, ओ!
मेरी अपाहज सदी
ऊंघती न रह जाना
तेरे बुरे दिनों में
एक बाज़ार के बहरूपिये
तेरे द्वार आयेंगे_
तेरे द्वार आयेंगे
और तेरे बच्चों के हाथों मे
झुनझुने देकर
उनके सपने
छीन ले जायेंग़े

