भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
| पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
| − | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
| − | + | {{KKRachna | |
| + | |रचनाकार=गुलज़ार | ||
| + | |संग्रह = | ||
| + | }} | ||
[[Category:गज़ल]] | [[Category:गज़ल]] | ||
| − | |||
| − | |||
| − | |||
| − | |||
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई <br> | दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई <br> | ||
जैसे एहसान उतारता है कोई <br><br> | जैसे एहसान उतारता है कोई <br><br> | ||
19:31, 11 मार्च 2009 का अवतरण
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई
आईना देख के तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
पक गया है शज़र पे फल शायद
फिर से पत्थर उछलता है कोई
फिर नज़र में लहू के छींटे हैं
तुम को शायद मुघालता है कोई
देर से गूँजतें हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई

