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"एक शे’र / अमजद हैदराबादी" के अवतरणों में अंतर
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(नया पृष्ठ: किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं। समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक ...) |
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18:15, 19 जुलाई 2009 का अवतरण
किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥

