भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बयान / नवनीत शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत शर्मा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> जिनके लिए कविता …)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:36, 4 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

 

जिनके लिए कविता
विज्ञापनी धुन में
ख़ुशबूदार बालों के साथ
लहराता जुमला है
वे कविता से उतनी ही दूर हैं
जितनी दूर नारों से कविता
त्रासदी यह हमारे दौर की
कविता में जज़्ब हो रहा है इश्तिहार
इश्तिहार बेच लेते हैं जरूरतें
ये जो तीर हैं एहसास के
उनकी कमान कब बनोगी
कविता!
तुम बुखार में तपते आदमी का
बयान कब बनोगी?