भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आलोकवृत्त / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
| पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | ||
}} | }} | ||
| − | |||
{{KKPustak | {{KKPustak | ||
|चित्र= | |चित्र= | ||
| पंक्ति 13: | पंक्ति 12: | ||
|विविध= | |विविध= | ||
}} | }} | ||
| + | <sort order="asc" class="ul"> | ||
| + | *[[भग्न तारों को सजाकर, / प्रथम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[और एक दिन निशि के सूनेपन में रूग्ण पिता के / द्वितीय सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[['मन्त्र पुराने काम नं देंगें, मन्त्र नया पढ़ना है / तृतीय सर्ग/ गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[जन्मसिद्ध अधिकार मनुज का न्याय-शान्ति पाने का / चतुर्थ सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[आ चुके थे पर चतुर नायक पुलिस के पंचम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[मुँह से उफ् तक किये बिना अधिकारों के हित अड़ना है / षष्ट सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[स्वयं वन्दिनी पिंजरे में जब तड़प रही हो माता / सप्तम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[अति घर्षण से हिम से भी उठती चिनगारी / अष्टम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[यह नूतन इतिहास आज कवि लिखने जिसे चला है / नवम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[हिन्दू-मुस्लिम-मेल, देश की मद्य-मुक्ति, सेवा हरिजन की / दशम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[हृदय में भीति सत्ता के जगी थी / एकादश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[[थक कर सोयी थी भारत-भू / द्वादश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | *[['प्रभो! इस देश को सत्पथ दिखाओ / त्रयोदश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
| + | </sort> | ||
20:37, 16 जून 2010 का अवतरण
आलोकवृत्त

क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
| रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
|---|---|
| प्रकाशक | |
| वर्ष | |
| भाषा | हिंदी |
| विषय | |
| विधा | खंड-काव्य |
| पृष्ठ | |
| ISBN | |
| विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
<sort order="asc" class="ul">
- भग्न तारों को सजाकर, / प्रथम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- और एक दिन निशि के सूनेपन में रूग्ण पिता के / द्वितीय सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- 'मन्त्र पुराने काम नं देंगें, मन्त्र नया पढ़ना है / तृतीय सर्ग/ गुलाब खंडेलवाल
- जन्मसिद्ध अधिकार मनुज का न्याय-शान्ति पाने का / चतुर्थ सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- आ चुके थे पर चतुर नायक पुलिस के पंचम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- मुँह से उफ् तक किये बिना अधिकारों के हित अड़ना है / षष्ट सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- स्वयं वन्दिनी पिंजरे में जब तड़प रही हो माता / सप्तम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- अति घर्षण से हिम से भी उठती चिनगारी / अष्टम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- यह नूतन इतिहास आज कवि लिखने जिसे चला है / नवम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- हिन्दू-मुस्लिम-मेल, देश की मद्य-मुक्ति, सेवा हरिजन की / दशम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- हृदय में भीति सत्ता के जगी थी / एकादश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- थक कर सोयी थी भारत-भू / द्वादश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
- 'प्रभो! इस देश को सत्पथ दिखाओ / त्रयोदश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
</sort>

