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"अपना रास्ता / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
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15:59, 5 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
अपनी-अपनी साइकिल पर
अपना-अपना बस्ता लिए
जा रही है लड़कियां
घर से-स्कूल से कालेज
जाने वाली सडकों पर
छा रही हैं लड़कियां
भारी है बस्ता
लेकिन इतना भी भारी नहीं
कि बोझ बने
बोझ बने हैं लेकिन हमीं
नहीं चाहते
आगे निकले लड़की कोई
घर कि देहरी लांघ
दृषिट ही नहीं
मान्यताओं की सांखलें भी
डालते हैं आगे बढ़ते पैरों में
लेकिन
रोके से रुक नहीं सकते वे पांव
जो पहचान लेते हैं अपना रास्ता !

