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"आते आते मेरा नाम / वसीम बरेलवी" के अवतरणों में अंतर
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Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: रचनाकार: वसीम बरेलवी Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:वसीम बरेलवी ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*...) |
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10:19, 5 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया

