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"नन्हा हाइकु / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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| + | फिर खो गया | ||
| + | बड़ी बेचैन हुई | ||
| + | ढूँढती रही | ||
| + | जागते बीती रात | ||
| + | पर न मिला | ||
| + | बड़ा शरारती है | ||
| + | ख़ूब छकाता | ||
| + | लुका-छिपी का खेल | ||
| + | उसे है भाता | ||
| + | करता खिलवाड़ | ||
| + | मन मौजी है | ||
| + | जी-भर के सताता | ||
| + | नींद उड़ा के | ||
| + | वो ख़ुद छिप जाता | ||
| + | बड़ी लाचारी | ||
| + | सोच-सोच के हारी | ||
| + | हो गई भोर | ||
| + | पाखी करते शोर | ||
| + | अरे, क्या हुआ | ||
| + | कहाँ वह खो गया? | ||
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| + | अधूरी नींद | ||
| + | बोझिल माथा लिये | ||
| + | भारी मन से | ||
| + | सुबह आ ही गई... | ||
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| + | अब जो मिला | ||
| + | कर लूँगी कैद मैं | ||
| + | शब्द-कारा में | ||
| + | डर सिर्फ़ यही है | ||
| + | फिसल जाये | ||
| + | कहीं वक्त-धारा में | ||
| + | ओ मेरे नन्हें! | ||
| + | तुझे तरस आता | ||
| + | तो छोड़ कर | ||
| + | तू यूँ बिला न जाता | ||
| + | आ गले लग जाता | ||
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15:54, 21 मई 2012 का अवतरण
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कच्ची नींद में
आया एक हाइकु
फिर खो गया
बड़ी बेचैन हुई
ढूँढती रही
जागते बीती रात
पर न मिला
बड़ा शरारती है
ख़ूब छकाता
लुका-छिपी का खेल
उसे है भाता
करता खिलवाड़
मन मौजी है
जी-भर के सताता
नींद उड़ा के
वो ख़ुद छिप जाता
बड़ी लाचारी
सोच-सोच के हारी
हो गई भोर
पाखी करते शोर
अरे, क्या हुआ
कहाँ वह खो गया?
अधूरी नींद
बोझिल माथा लिये
भारी मन से
सुबह आ ही गई...
अब जो मिला
कर लूँगी कैद मैं
शब्द-कारा में
डर सिर्फ़ यही है
फिसल जाये
कहीं वक्त-धारा में
ओ मेरे नन्हें!
तुझे तरस आता
तो छोड़ कर
तू यूँ बिला न जाता
आ गले लग जाता
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