"नूनू बाबू सिनी सें / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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| − | + | सूँढ़ गणेशोॅ के जे लागै | |
| − | + | कभी गणेशोॅ केरोॅ पेट | |
| − | + | ओकरोॅ वास्तें बात बरोबर | |
| − | + | की छत-छप्पर, धरती-हेट । | |
| − | + | -कद्दू | |
| − | + | 2 | |
| − | + | एक गणेश जी हेनोॅ देखलां | |
| − | + | सूँढ़ कमर सें लटकै छै | |
| − | + | भरी-भरी लड्डू की मिलतै | |
| − | + | एक चौॅर लेॅ भटकै छै । | |
| − | + | -मूसोॅ | |
| − | + | 3 | |
| − | + | माथा पर छै मुकुट बिराजै | |
| + | मुँह के नीचें छोटका सूँढ़ | ||
| + | बगुलौ सें जादा बगबग छै | ||
| + | जेकरोॅ बोली तिलकुट-गूड़ । | ||
| + | -शंख | ||
| + | 4 | ||
| + | कारोॅ बदरा धरती पर | ||
| + | देखी दुश्मन थर, थर, थर | ||
| + | घूमै सबके घरे घर | ||
| + | मारोॅ तेॅ छिलकै ऊपर । | ||
| + | -छाता | ||
| + | 5 | ||
| + | बेटा दुबरोॅ कोठी बाप | ||
| + | ब्रह्मा के देलोॅ छै शाप | ||
| + | ओॅन जरो नै कभियो खाय | ||
| + | पानी पीयै ओछरी जाय । | ||
| + | -गिलास-लोटा | ||
| + | 6 | ||
| + | एक ठो हेनोॅ छाता छै | ||
| + | तनलोॅ रहै जे सालो भर | ||
| + | छाता में सौ भुरकी झलकै | ||
| + | कपड़ा उड़ै छै फर-फर-फर | ||
| + | जोॅर-जनानी मर-मरदाना | ||
| + | गैया-बकरी ओकरे तर । | ||
| + | -झबरोॅ गाछ | ||
| + | 7 | ||
| + | एक छड़ी पर अण्डा नाचै | ||
| + | जै में चिड़ियाँ आवै-जावै | ||
| + | अण्डे गिरै नै छड़िये डोलै | ||
| + | कत्तो कोय्यो जोर लगावै । | ||
| + | -गाछ | ||
| + | 8 | ||
| + | भरी मुँहोॅ में ऐला-गोटी | ||
| + | जतना बोली तित्तोॅ छै | ||
| + | मुँह लटकैनें झुलतें रहतौं | ||
| + | सब्भे बल पर जीत्तोॅ छै । | ||
| + | -करेला | ||
| + | 9 | ||
| + | एकठो बूढ़ोॅ हेनो भी छै | ||
| + | नाक, कान, जी, कुछुवो नै | ||
| + | भरी मुँह बस दाँते देखोॅ | ||
| + | बोलें; फेरू पूछुवौ नै । | ||
| + | -भुट्टा | ||
| + | |||
| + | 10 | ||
| + | लाल पटोरी पिन्ही डायन | ||
| + | जखनी जेकरा चाहै खाय | ||
| + | खाय वक्ती नै पानी पीयै | ||
| + | पीयै तेॅ ऊ मरिये जाय । | ||
| + | -आगिन | ||
| + | |||
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10:51, 17 मई 2016 का अवतरण
1
सूँढ़ गणेशोॅ के जे लागै
कभी गणेशोॅ केरोॅ पेट
ओकरोॅ वास्तें बात बरोबर
की छत-छप्पर, धरती-हेट ।
-कद्दू
2
एक गणेश जी हेनोॅ देखलां
सूँढ़ कमर सें लटकै छै
भरी-भरी लड्डू की मिलतै
एक चौॅर लेॅ भटकै छै ।
-मूसोॅ
3
माथा पर छै मुकुट बिराजै
मुँह के नीचें छोटका सूँढ़
बगुलौ सें जादा बगबग छै
जेकरोॅ बोली तिलकुट-गूड़ ।
-शंख
4
कारोॅ बदरा धरती पर
देखी दुश्मन थर, थर, थर
घूमै सबके घरे घर
मारोॅ तेॅ छिलकै ऊपर ।
-छाता
5
बेटा दुबरोॅ कोठी बाप
ब्रह्मा के देलोॅ छै शाप
ओॅन जरो नै कभियो खाय
पानी पीयै ओछरी जाय ।
-गिलास-लोटा
6
एक ठो हेनोॅ छाता छै
तनलोॅ रहै जे सालो भर
छाता में सौ भुरकी झलकै
कपड़ा उड़ै छै फर-फर-फर
जोॅर-जनानी मर-मरदाना
गैया-बकरी ओकरे तर ।
-झबरोॅ गाछ
7
एक छड़ी पर अण्डा नाचै
जै में चिड़ियाँ आवै-जावै
अण्डे गिरै नै छड़िये डोलै
कत्तो कोय्यो जोर लगावै ।
-गाछ
8
भरी मुँहोॅ में ऐला-गोटी
जतना बोली तित्तोॅ छै
मुँह लटकैनें झुलतें रहतौं
सब्भे बल पर जीत्तोॅ छै ।
-करेला
9
एकठो बूढ़ोॅ हेनो भी छै
नाक, कान, जी, कुछुवो नै
भरी मुँह बस दाँते देखोॅ
बोलें; फेरू पूछुवौ नै ।
-भुट्टा
10
लाल पटोरी पिन्ही डायन
जखनी जेकरा चाहै खाय
खाय वक्ती नै पानी पीयै
पीयै तेॅ ऊ मरिये जाय ।
-आगिन

