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| | |जीवनी=[[रमा द्विवेदी / परिचय]] | | |जीवनी=[[रमा द्विवेदी / परिचय]] |
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| − | रचनाकार:[[डा. रमा द्विवेदी]]
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| − | [[Category:कविताएँ]]
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| − | [[Category:डा. रमा द्विवेदी]]
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| − | *[[मुझको हरित बनाओ अब /रमा द्विवेदी]]
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| − | *[[मुझको हरित बनाओ अब /रमा द्विवेदी]]
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| − | यह धरती अकुला रही,हमें तुम्हें बुला रही,<br>
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| − | मुझको हरित बनाओ अब , पुकार यह लगा रही।<br><br>
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| − | लगाओ पेड़-पौधे तुम , प्रदूषण को भगाओ तुम
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| − | पाओगे ताजी हवा , रोगों से मुक्ति पाओ तुम,
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| − | चेहरा रहे खिला-खिला यही हमें बता रही
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| − | मुझको हरित बनाओ अब , पुकार यह लगा रही ।
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| − | जिसनें दिया तुम्हेंजन्म हैउसको न यूं सताओ तुम
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| − | जन्मने का हक़ उसे भी दो यूं भ्रूण न मिटाओ तुम,
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| − | सिष्टि चलेगी उससे ही ,बस बात यह बता रही
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| − | मुझको हरित बनाओ अब , पुकार यह लगा रही।
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| − | मुझ पर बनाते घर-मकां , मुझ पर बनाते हो महल,
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| − | मुझ पर उगाते अन्न-फल, मुझे रौंदते हो हर पहर,
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| − | मुझमें मिलोगे अन्त में , बस बात यह समझा रही
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| − | मुझको हरित बनाओ अब , पुकार यह लगा रही।
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| − | सदियों से रुदन कर रही , न सिसकियां तुमने सुनी,
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| − | जर्जर हुई हर सांस है , टूटेगी जाने किस घड़ी,
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| − | चेतावनी यह समझो प्रलय की घड़ी आ रही
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| − | मुझको हरित बनाओ अब , पुकार यह लगा रही ।
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| − | इतना सताओ न मुझे दुनिया में क़हर ढ़ाऊं मैं,
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| − | अपनी नहीं चिन्ता मुझे कैसे तुम्हें बचाऊं मैं ,
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| − | इंसान ही के वास्ते , मैं खुद को थी मिटा रही
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| − | मुझको हरित बनाओ अब , पुकार यह लगा रही ।
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| − | मुझ पर बढ़ा जो भार है ,उसको जरा घटाओ तुम,
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| − | आतंक को तुम रोक दो , यूं रक्त न बहाओ तुम,
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| − | खुशहाल हों सबही यहां , मैं मन्नतें मना रही,
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| − | मुझको हरित बनाओ अब , पुकार यह लगा रही।
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