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"जीवाश्म होने तक / पूरन मुद्गल" के अवतरणों में अंतर
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| − | तुम मोहंजोदड़ो हो गए
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| − | तो क्या हुआ
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| − | वक्त ने धूल के दुशाले
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| − | डाल दिए तुम पर
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| − | इससे क्या !
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| − | वर्षों तक
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| − | मैंने तुम्हारा पीछा किया
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| − | तुम उठे तो-
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| − | किंतु
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| − | संवाद की कोई नदी
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| − | हमें छूकर नहीं गुज़री-
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| − | तुम्हारे साथ दफन भाषा का
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| − | कोई व्याकरण नहीं रचा गया
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| − | तभी तो तुम दिखाते हो-
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| − | एक चिड़िया का चित्र
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| − | किसी मछली की आकृति
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| − | या टूटे बर्तन का किनारा-
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| − | चिड़िया वैसी ही
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| − | जो आज भी मेरे कमरे में
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| − | घोंसला बनाने के लिए तिनका उठाए है
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| − | मछली वही
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| − | जो पानी के बिना तड़पती है
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| − | टूटे प्याले पर
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| − | प्यास के निशान हू-ब-हू वैसे
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| − | जो आज भी मेरे होंठों पर अंकित हैं
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| − | इसलिए तुम मरे नहीं
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| − | तुम मुझ में जीवित हो
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| − | जब तक कि मैं मोहंजोदड़ो नहीं बन जाता
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| − | इससे पहले कि मैं जीवाश्म बनूं
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| − | मैं देखना चाहता हूं-
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| − | चिड़िया का एक सुरक्षित नीड़
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| − | साफ पानी में तैरती मछली
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| − | और
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| − | एक भरे प्याले से छलकती तृप्ति का अहसास
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16:12, 13 फ़रवरी 2011 का अवतरण