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"हवाओं से लिपटकर / वाज़दा ख़ान" के अवतरणों में अंतर

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21:24, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

देखूँगी जाकर वहाँ पीली पाती
जो हवा से लिपट कर उड़ आई
ब्रह्माण्ड के उस ग्रह से
जहाँ बुद्ध का वास है । क्या भगवान
उसे यहाँ हरीतिमा प्रदान करेंगे ?

मिल गया जो उए यह जीवनदान
तो ढूँढेगी वह एक दूसरा जीवन जो
भटक रहा है अनन्तकाल से रेगिस्तान
के बवण्डरों में

खोज नहीं पा रहा वह अपनी सीमा
तय नहीं कर पा रहा वह अप॔नी दिशा

ढूँढ नहीं पा रहा वह अपना स्वत्व ।