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"लोहा / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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| − | दूसरा उसे उगाने के लिए | + | बचाने के लिए लेना पड़ता है |
| − | मिट्टी में, हवा में, पानी में | + | दूसरा उसे उगाने के लिए |
| − | पालक में और खून में जो लोहा है | + | मिट्टी में, हवा में, पानी में |
| − | यही सारा लोहा काम आता है एक दिन | + | पालक में और खून में जो लोहा है |
| − | फूल जैसी धरती को बचाने में< | + | यही सारा लोहा काम आता है एक दिन |
| + | फूल जैसी धरती को बचाने में | ||
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01:45, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण
जंग लगा लोहा पांव में चुभता है
तो मैं टिटनेस का इंजेक्शन लगवाता हूँ
लोहे से बचने के लिए नहीं
उसके जंग के संक्रमण से बचने के लिए
मैं तो बचाकर रखना चाहता हूँ
उस लोहे को जो मेरे खून में है
जीने के लिए इस संसार में
रोज़ लोहा लेना पड़ता है
एक लोहा रोटी के लिए लेना पड़ता है
दूसरा इज़्ज़त के साथ
उसे खाने के लिए
एक लोहा पुरखों के बीज को
बचाने के लिए लेना पड़ता है
दूसरा उसे उगाने के लिए
मिट्टी में, हवा में, पानी में
पालक में और खून में जो लोहा है
यही सारा लोहा काम आता है एक दिन
फूल जैसी धरती को बचाने में

