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"मनके / पूर्णिमा वर्मन" के अवतरणों में अंतर
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| − | दर्द हरा है | + | दर्द हरा है |
| − | ताड़ों पर सीटी देती हैं | + | ताड़ों पर सीटी देती हैं |
| − | गर्म हवाएँ | + | गर्म हवाएँ |
| − | जली दूब-सी तलवों में चुभती | + | जली दूब-सी तलवों में चुभती |
| − | यात्राएँ | + | यात्राएँ |
| − | पुनर्जन्म ले कर आती हैं | + | पुनर्जन्म ले कर आती हैं |
| − | दुर्घटनाएँ | + | दुर्घटनाएँ |
| − | धीरे-धीरे ढल जाएगा | + | धीरे-धीरे ढल जाएगा |
| − | वक्त आज तक | + | वक्त आज तक |
| − | कब ठहरा है? | + | कब ठहरा है? |
| − | गुलमोहर-सी जलती है | + | गुलमोहर-सी जलती है |
| − | बागी़ ज्वालाएँ | + | बागी़ ज्वालाएँ |
| − | देख-देख कर हँसती हैं | + | देख-देख कर हँसती हैं |
| − | ऊँची आशाएँ | + | ऊँची आशाएँ |
| − | विरह-विरह-सी भटक रहीं सब | + | विरह-विरह-सी भटक रहीं सब |
| − | प्रेम कथाएँ | + | प्रेम कथाएँ |
| − | आज सँभाले नहीं सँभलता | + | आज सँभाले नहीं सँभलता |
| − | जख़्म हृदय का | + | जख़्म हृदय का |
| − | कुछ गहरा है< | + | कुछ गहरा है |
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11:31, 27 जून 2014 के समय का अवतरण
टुकड़े टुकड़े टूट जाएँगे
मन के मनके
दर्द हरा है
ताड़ों पर सीटी देती हैं
गर्म हवाएँ
जली दूब-सी तलवों में चुभती
यात्राएँ
पुनर्जन्म ले कर आती हैं
दुर्घटनाएँ
धीरे-धीरे ढल जाएगा
वक्त आज तक
कब ठहरा है?
गुलमोहर-सी जलती है
बागी़ ज्वालाएँ
देख-देख कर हँसती हैं
ऊँची आशाएँ
विरह-विरह-सी भटक रहीं सब
प्रेम कथाएँ
आज सँभाले नहीं सँभलता
जख़्म हृदय का
कुछ गहरा है

