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"जेठ आषाढ़ मास आयल / चन्दरदास" के अवतरणों में अंतर
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जेठ आषाढ़ मास आयल, मेघ दल साजल ए।
ललना रे! बिजुली चमकै चारो ओर से,
जिया डर लागल ए॥1॥
रिमिझिमि बूँद बरसि गेल, जन्म भरिये गेल ए।
ललना रे! भींजि गेल सुन्दर शरीर से,
प्राण तन छूटल ए॥2॥
गहिरि नदिया अगम जल, नैना नहिं सूझल ए।
ललना रे! बिनु रे केवट नैया झाँझर से,
पार कैसे जायब ए॥3॥
सत्य के नैया झलमली, प्रेम पतवार भेल ए।
ललना रे! गुरु मोर भेल खेवनहार से,
पार नैया लागल ए॥4॥
‘चन्दर दास’ सोहर गावल, गावी के सुनावल ए।
ललना रे! सुगम सुन्दर यह मारग से,
पकड़ो मुसाफिर ए॥5॥

