भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पानी में मीन प्यासी / मीराबाई

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:19, 1 जनवरी 2010 का अवतरण (पानी में मीन प्यासी/ मीराबाई का नाम बदलकर पानी में मीन प्यासी / मीराबाई कर दिया गया है)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पानी में मीन प्यासी। मोहे सुन सुन आवत हांसी॥ध्रु०॥
आत्मज्ञानबिन नर भटकत है। कहां मथुरा काशी॥१॥
भवसागर सब हार भरा है। धुंडत फिरत उदासी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। सहज मिळे अविनशी॥३॥