भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंधेरे में देखना / प्रताप सहगल
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:18, 13 अक्टूबर 2013 का अवतरण
अंधेरे में देखना

| रचनाकार | प्रताप सहगल |
|---|---|
| प्रकाशक | अभिरुचि प्रकाशन, विश्वासनगर, शाहदरा, दिल्ली-110032 |
| वर्ष | 1994 |
| भाषा | हिन्दी |
| विषय | |
| विधा | कविता |
| पृष्ठ | 94 |
| ISBN | |
| विविध | कवि का चौथा कविता संग्रह |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

