भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बात यह नहीं है / तेजी ग्रोवर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:46, 20 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेजी ग्रोवर |अनुवादक= |संग्रह=अन्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बात यह नहीं है कि कहीं भी मन नहीं लगता, कहीं भी जड़
महसूस नहीं होती, कहीं भी अकेलापन साथ नहीं छोड़ता।
बात ठीक इससे उलट है। हर जगह मन लगता है। हर
जगह जड़ महसूस होती है। हर जगह सान्निध्य है, स्नेह है,
साथ है। आत्मीयता से भरे हुए नक्षत्र पर किससे कहूँ कि
ऐसा है... कौन मेरी बात का विश्वास करेगा?