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सूझे न सूरुजो के / अरुण हरलीवाल
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उत्सौ के अँखियन में डबडब हे लोर।
सूझे न सूरुजो के, कइसन ई भोर!
हारल रहगीर सभे, सून भेल रस्ता ई;
टूट गेल आज सभे नदियन के गोड़।
भीतर जे देखली तो करिखो से करिया हल,
लउकेत हल दूर से भकभक जे गोर।
करूँ अब केकरा पर गाँव में भरोसा हम;
एकेक परानी हे घरवे में चोर।
अब तो बड़ि फूँक-फूँक मट्ठो हम पीउ ही,
जहिया से जरल हमर दुधवा से ठोर।

