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खुद से वास्ता / रामकृपाल गुप्ता
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न कोई आरजू बाक़ी न तमन्ना कोई
जैसे तेरी बेदिली ही रास आई
हो गया खतम, इंतज़ार खतम
बेवफा तेरी मुहब्बत की क़सम।
एक तूफान थम गया जैसे
कोई ठहराव आ गयाजैसे
धड़कनों ने पकड़ ली है लय इक
सभी चढाव खतम, सभी उतार खतम।
न हीं मरने का कोई ग़म होगा,
अगर ज़िंदा भी रहा रह जाऊँ
ज़मीं जहाँ की क्या परवा है
अब तो ख़ुद से भी वास्ता है खतम।

