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उनसे कहना / क्षेत्र बहादुर सुनुवार
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उनसे कहना !
बज़ाहिर ज़िन्दगी के चमन के
कुछ गुल बदले बदले से है,
आते जाते राह में चेहरे
नए नए से हैं,
लेकिन दिल के चराग़ में
तुम्हारी चाहत की लौ
बदस्तुर अब भी जल रही है।
यादो के जज़ीरो में
वो मुहब्बत का अहसास
अब भी बसी हुई है,
गो कहने को तो तुम दूर हो
मगर मेरे हर नफ़स पर
मैने तुम्हे पाया है,
इस मंज़र के हर शै में
तुम्हारा अक्स छाया है,
आकर किसी दिन देख लो
तुम्हारा प्यार इस दिल में
कम नहीं हो पाया है,
कम नहीं हो पाया है।

