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विदा करने निकली जब माता
पग से लिपट रो पड़ी बहुएं, ::न्याय यही कहलाता ?
सीता को ही दुःख दिखलाये
छिपे कहाँ वे ऋषि मुनि सारे
तब वन में था बल स्वामी का
अब तो छूट रहा भगिनी का

